tag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post2679321612274877598..comments2023-10-12T08:03:00.002-07:00Comments on कुमार अम्बुज: फूल रखो तो फूलदान की तरहकुमार अम्बुजhttp://www.blogger.com/profile/02635510768553914710noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-82163338927905319822009-12-02T21:48:31.033-08:002009-12-02T21:48:31.033-08:00सुंदर गद्य है।सुंदर गद्य है।Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-13758210027573982452009-11-30T21:38:10.234-08:002009-11-30T21:38:10.234-08:00'सुराही' पर कविता की प्रतीक्षा रहेगी...'सुराही' पर कविता की प्रतीक्षा रहेगी...प्रदीप जिलवानेhttps://www.blogger.com/profile/08193021432011337278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-63347767697379554372009-11-30T05:42:42.864-08:002009-11-30T05:42:42.864-08:00एक बात और!
सुराही दार गर्दन की उपमा हमे अपनी आदिम ...एक बात और!<br />सुराही दार गर्दन की उपमा हमे अपनी आदिम स्मृतियों से प्राप्त हुई होगी. <br />मैने एक जन जाति के बारे सुना है. उन के यहाँ स्त्री सौन्दर्य का माप दण्ड ही गर्दन की लम्बाई है. इतना ही नही, उन की स्त्रियाँ उसे ज़बरन लम्बा करने के लिए धातु के छल्ले भी पहनती हैं.<br />कविता लिखिएगा तो इस बिम्ब का भी ध्यान कर लीजिएगा. <br />सादर.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-32332469773859929602009-11-30T05:31:16.929-08:002009-11-30T05:31:16.929-08:001.कविता तो लिखनी ही चाहिए आप को, लेकिन इस रम्य गद्...1.कविता तो लिखनी ही चाहिए आप को, लेकिन इस रम्य गद्य का जवाब नही. शायद कविता मे ये बाते इस तरह से कभी न आ पाती. और ऐसा गद्य दुर्लभ हो गया है आज कल. कवि अनूप सेठी अपनी पत्रिका हिमाचल मित्र मे गल सुणा स्तम्भ लिखते हैं. अगर आप को धौला धार की भषा समझ आती होती, तो ज़रूर पसन्द करते उसे भी.<br />2 <br />और ब्लॉग पर बस इसी साईज़ के पोस्ट सही लगते हैं.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-89334946971582222192009-11-30T01:22:40.592-08:002009-11-30T01:22:40.592-08:00आपकी डायरी के पन्ने पढ़ना मुझे बहुत अच्छा लगता है ...आपकी डायरी के पन्ने पढ़ना मुझे बहुत अच्छा लगता है । "आलोचना" मे छपी आपकी डायरी के अंश उन दिनो जब मेरा मकान बन रहा था मेरा हौसला बनाये रखने में मेरी बहुत मदद करते थे । <br />ठंड के इन दिनो में सुराही पर यह चर्चा पढ़कर आनन्द आ गया ?शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-11439654248369773542009-11-30T00:05:48.361-08:002009-11-30T00:05:48.361-08:00सुन्दर गद्य्…कला की वस्तुगतता के साथ जो मनोगतता हो...सुन्दर गद्य्…कला की वस्तुगतता के साथ जो मनोगतता होती है वही उसे विशिष्ट बनाती है।<br /><br />हां सुराही का एक और अर्थ बताया था एक मित्र ने… सुरा + ही!!!Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.com