tag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post4816027385538286001..comments2023-10-12T08:03:00.002-07:00Comments on कुमार अम्बुज: मेरा प्रिय कविकुमार अम्बुजhttp://www.blogger.com/profile/02635510768553914710noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-22330569643784282572010-01-20T11:16:13.058-08:002010-01-20T11:16:13.058-08:00संवेदनशून्य समय की एक अतिसंवेदनशील कविता...आभार.संवेदनशून्य समय की एक अतिसंवेदनशील कविता...आभार.KESHVENDRA IAShttps://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-41793499457966699122009-11-14T05:19:36.954-08:002009-11-14T05:19:36.954-08:00mere bheetar ik lahar umdhi.....behad khoobsurat ...mere bheetar ik lahar umdhi.....behad khoobsurat kavita.....डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-22683994425289558802009-11-11T04:02:23.921-08:002009-11-11T04:02:23.921-08:00उम्दा कविता.उम्दा कविता.प्रदीप जिलवानेhttps://www.blogger.com/profile/08193021432011337278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-18412194204747382842009-11-08T16:53:27.811-08:002009-11-08T16:53:27.811-08:00कुमार भाई , आग्रह तो मेरा भी था ..कृपया भूल सुधार ...कुमार भाई , आग्रह तो मेरा भी था ..कृपया भूल सुधार कर ले । इस कविता मे भी मुझे अनेक कवि नज़र आते हैं एक अच्छी कविता ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-7960793090819450692009-11-05T08:11:20.993-08:002009-11-05T08:11:20.993-08:00.........adbhut..........adbhut.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/05458071915335292028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-54729047216970410132009-11-05T05:58:25.992-08:002009-11-05T05:58:25.992-08:00...यूँ ही आशीष बरन नंदी के कविता संग्रह के विमोचन ......यूँ ही आशीष बरन नंदी के कविता संग्रह के विमोचन में आलोचना के `शीर्ष पुरुष` का भाषण याद आ रहा है. उस दिन वे हिंदी के एक कवि के हकलाकर कविता पढ़ने पर व्यंग्य कास रहे थे. ताकत ऐसी ही मजाक करते हुए चमकती है.Ek ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-90977293779027852322009-11-05T05:53:32.137-08:002009-11-05T05:53:32.137-08:00बहुत अच्छी, बेहद अच्छी, बेहद अच्छी कविता. जब इतनी ...बहुत अच्छी, बेहद अच्छी, बेहद अच्छी कविता. जब इतनी जल्दबाजी का दौर हो, तब ऐसी बेहतरीन कविता. और इस पर उतनी ही अच्छी, उतनी ही संज़ीदा टिप्पणी.<br />लेकिन इस सफाई की जरुरत क्या थी जिसके लिए कवि को दस साल बाद मजबूर हो जाना पड़ा? हिंदी साहित्य जगत और खासकर आलोचना जगत इतनी तुच्छता से लबलबाता हो तो ऐसे ही कहा जाएगा कि यह अमूक कवि पर केन्द्रित कविता है. और अगर कोई कविता किसी कवि विशेष को लेकर लिखी गई हो तो भी क्या उसका इतना ही अर्थ होता है.Ek ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-59581132014578346642009-11-05T01:00:39.211-08:002009-11-05T01:00:39.211-08:00मेरी बहुत प्रिय कविता. हर वक़्त स्मृति में रहने- ...मेरी बहुत प्रिय कविता. हर वक़्त स्मृति में रहने- बसने वाली. इसे यहाँ लगाने का शुक्रिया. चन्दन के "विशेष आग्रह" का भी शुक्रिया, जिसकी वजह से यह कविता यहाँ लगी. मनुष्य की और मनुष्यता की आवाज़ हमेशा हकलाहट और हिचकिचाहट भरी रही है लेकिन उतनी ही प्रभावशाली भी. मैं इस कविता को एक कवि के लिए लिखा गया मानता था और अब भी मानना चाहूंगा - यह मेरा, एक पाठक का निजी पाठ होगा, पर ऐसे पाठ पर पाठक का अधिकार होता है. मेरा मन कर रहा है कि उस नाम के आगे जैसे दा लगा कर संबोधित करता रहा हूँ, वैसे ही यहाँ भी एक बार जोर से पुकार दूं ..... <br /><br /> ".................." दा !शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.com