tag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post6911884141726102913..comments2023-10-12T08:03:00.002-07:00Comments on कुमार अम्बुज: 'श्रम के घंटे और मनुष्य का अवकाश'कुमार अम्बुजhttp://www.blogger.com/profile/02635510768553914710noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-58322743049767483682009-09-11T03:34:24.292-07:002009-09-11T03:34:24.292-07:00कथन में यह लेख नहीं पढ पाया था।
अभी रक जो पढा उसने...कथन में यह लेख नहीं पढ पाया था।<br />अभी रक जो पढा उसने अगली क़िस्त के लिये इंतज़ार पैदा कर दिया है। अर्थशास्त्र का विद्यार्थी होने के कारण इसमें अपनी स्वाभाविक रुचि है… पर प्रतिक्रिया के लिये अगली क़िस्त की प्रतीक्षा करुंगा।Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-49546753908486197442009-09-08T09:21:49.420-07:002009-09-08T09:21:49.420-07:00अवकाश मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक है .. पर आज लालच...अवकाश मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक है .. पर आज लालच के युग में इसे नहीं समझा जा सकता .. सुंदर विश्लेषणयुक्त रही यह पहली किश्त .. अन्य किश्तों का भी इंतजार रहेगा !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-6041417524942422162009-09-08T05:33:02.753-07:002009-09-08T05:33:02.753-07:00उच्च श्रेणी का आलेख. अगली कड़ी का इंतज़ार है.उच्च श्रेणी का आलेख. अगली कड़ी का इंतज़ार है.Atmaram Sharmahttps://www.blogger.com/profile/11944064525865661094noreply@blogger.com