tag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post8359448499041648449..comments2023-10-12T08:03:00.002-07:00Comments on कुमार अम्बुज: फासिज़्म लोकतन्त्र के कपड़े पहने हुए हैकुमार अम्बुजhttp://www.blogger.com/profile/02635510768553914710noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-40962822396190516752015-01-26T10:15:57.486-08:002015-01-26T10:15:57.486-08:00सटीक टिप्पणी है। शासन की ही तरह सर्वव्यापी है यह ध...सटीक टिप्पणी है। शासन की ही तरह सर्वव्यापी है यह धूर्तता। दरअसल, इन सब में काफी हद तक कसूरवार है हमारी "भोली जनता", हमारा "मस्त वर्ग, (ओह, मेरा मतलब मध्य वर्ग से था)। ये तुरंत का चक्कर बड़ा कैड़ा साबित हुआ है। Systemic change की न तो मंशा है और न ही इतना सबर, हर जगह तुरंत supply chain establishment चाहिए। प्रशासक से बढ़िया शासक और उससे भी उत्तम प्रचारक । वयं यक्षाम: वयं यक्षाम:, यक्षराज को इसमें भला करने या आपत्ति हो?<br />---------x----------x------------x--------x------------<br />अवश्य ही संवैधानिक है आपका कमरतोड़ विकास <br />चूंकि चलते हुए हमारा हाथों को ज़ोर से हिलाना असंवैधानिक है <br /><br />---- x ------ x ------ x ------- x --------<br /><br />कचहरी में जमा लोगों से तो मुझे इतना ही कहना है की<br />संविधान के मुताबिक़ इश्वर रहम बरसाए तुम पर <br /><br />---- x ------ x ------ x ------- x --------<br /><br />कैसे लिखा जाए अब<br />जब पीठ से सटे, कन्धों पर से, <br />झाँकता हो संविधान पन्नों पर ..<br />-------------x------------x---------------<br />सटीक टिप्पणी हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/00955879164048295184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-79349436257340405022014-10-22T10:00:26.313-07:002014-10-22T10:00:26.313-07:00लानत है ऐसे लेखकों और संस्कृतिकर्मियों पर!लानत है ऐसे लेखकों और संस्कृतिकर्मियों पर!Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.com