tag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post9163740159725698353..comments2023-10-12T08:03:00.002-07:00Comments on कुमार अम्बुज: यानिस रित्सोस की एक कविताकुमार अम्बुजhttp://www.blogger.com/profile/02635510768553914710noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-89030662501049041862012-10-15T21:40:40.929-07:002012-10-15T21:40:40.929-07:00pehli baar aapke blog se gujra hoon,aur aapki kavi...pehli baar aapke blog se gujra hoon,aur aapki kavitaon ne behad prabhavit kiya hai.sundar.ashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-60808954168191568672012-10-11T04:23:26.405-07:002012-10-11T04:23:26.405-07:00अम्बुज जी,
आपको इन्दौर के प्रीतमलाल दुआ सभागार मे...अम्बुज जी,<br /><br />आपको इन्दौर के प्रीतमलाल दुआ सभागार में सुनना और फिर आपसे हुई वो आत्मीय मुलाकात मैं भूल नही सकता।<br /><br />कल फेसबुक ने एक बहुत ही अच्छा कार्य किया कि उसने ढूंढके आपको सजेस्ट किया और आपने और भी पुनीत मेरे निवेदन को स्वीकार करके।<br /><br />स्त्री, का ऐसा होना ही उसे महान बनाता है और भोग्या भी अब यह तो उस आदमी पर निर्भर करता है अहसान माने या लम्पट सा मुकर जाए लेकिन दोनों ही अवस्थाओं में स्त्री वैसे ही सहज है जैसी इस कविता में.....गुलाब के फूल भूल जाने के लिए मुआफी माँगती हुई।<br /><br />सादर,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.com