tag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post3371036129136414414..comments2023-10-12T08:03:00.002-07:00Comments on कुमार अम्बुज: धर्म नशा हैकुमार अम्बुजhttp://www.blogger.com/profile/02635510768553914710noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-19402781361041376142009-06-02T06:53:41.617-07:002009-06-02T06:53:41.617-07:00धर्म को लेकर इस बहस के साहस के लिये आपको साधुवाद।
...धर्म को लेकर इस बहस के साहस के लिये आपको साधुवाद।<br />दरअसल धर्म हमारे समय में पहले से कहीं अधिक घातक अफीम की भूमिका निभा रहा है। कारणो की पडताल मुझे ग्राम्शी तक ले गयी और उसकी पैसिव क्रांति की अवधारणा से काफी आंदोलित हूं।<br />मुझे लगता है कि सामंतवाद से पूंजीवाद में जिस तरह एक निष्क्रिय संक्रमण हुआ है उसी वज़ह से मूलाधारों में परिवर्तन के बावज़ूद सुपरस्ट्रक्चर में सामंती अवशेषों में धर्म,जाति और ज़ेन्डर की समस्या अब तक बनी हुई है।<br />साम्राज़्यवाद और बाज़ार से इसकी गठजोड भी शोध की मांग करती है। इप्टा के राज्य सम्मेलन में अपने आधार पत्र में मैने कोशिश तो की थी कुछ सूत्र तलाशने की पर अभी और ज़्यादा गहन शोध की ज़रूरत महसूस कर रहा हूं।<br />इस लेख ने उस भूख को और बढा दिया।Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3454215158053020851.post-4718415198843568742009-06-01T02:09:41.227-07:002009-06-01T02:09:41.227-07:00अंबुजजी,
इन दिनों मैं गोरख पांडे की धर्म की मार्क्...अंबुजजी,<br />इन दिनों मैं गोरख पांडे की धर्म की मार्क्सवादी अवधारण पढ़ रहा हूं। सही मायनों में वो आदमी जीनियस था। धर्म और मार्क्स के दृष्टिकोण पर जिस गहराई से उसने लिखा है, प्रभावित तो करता ही है, साथ ही ऐसे तर्क भी हमारे सामने रखता है जिस पर बहस जरूरी है।<br />धर्म के पाखंड की काफी गहरी परतें आपने अपने लेख में खोली हैं, मुझको पसंद आया।Anshu Mali Rastogihttps://www.blogger.com/profile/01648704780724449862noreply@blogger.com