शुक्रवार, 26 सितंबर 2008

आखिर हमें कुछ प्रतीक्षा करना ही होता है।

जल्‍दी ही हम नए शब्‍दों के साथ मुलाक़ात करेंगे।
हरेक इतवार की सुबह से यह नई शुरुआत होती रहेगी।