ब्लॉग के अपहरण के बाद फिर वह बरामद हुआ।
फेसबुक के जरिए मित्रों ने इसमें तत्काल योगदान दिया।
बहरहाल, यह एक नई पोस्ट।
यह कविता।
अकेले का विरोध
तुम्हारी नींद की निश्चिंतता में
वह एक कंकड़ है
एक छोटा-सा विचार
तुम्हारी चमकदार भाषा में एक शब्द
जिस पर तुम हकलाते हो
तुम्हारे रास्ते में एक गड्ढा है
तुम्हारी तेज रफतार के लिए दहशत
तुम्हें विचलित करता हुआ
वह इसी विराट जनसमूह में है
तुम उसे नाकुछ कहते हो
इस तरह तुम उस पर ध्यान देते हो
तुमने सितारों को जीत लिया है
आभूषणों गुलामों मूर्तियों लोलुपों
और खण्डहरों को जीत लिया है
तुम्हारा अश्व लौट रहा है हिनहिनाता
तब यह छोटी-सी बात उल्लेखनीय है
कि अभी एक आदमी है जो तुम्हारे लिए
खटका है
जो अकेला है लेकिन तुम्हारे विरोध
में है
तुम्हारे लिए यह इतना जानलेवा है
इतना भयानक कि एक दिन तुम उसे
मार डालने का विचार करते हो
लेकिन वह तो कंकड़ है गड्ढा है
एक शब्द है लोककथा है परंपरा है।
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