रविवार, 5 अक्तूबर 2008

उसके विशाल पहलू में किसी मनुष्‍य के लिए जगह खाली है।

दोस्‍तो, अनेक सुझावों में संलग्‍न आग्रहों की रक्षा करते हुए यहां अंतराल ज्‍यादा न करते हुए, एक नयी पोस्‍ट डाल रहा हूं। यह कविता भाई यूनुस खान, आकाशवाणी, के लिए और उनसे क्षमायाचना सहित भी।

लेकिन जल्‍दी ही अपना कुछ गद्य और दूंगा। और वॉल्‍ट व्हिटमैन की एक कविता का अनुवाद भी जो मुझे बहुत पंसद है। दरअसल, कविताओं के बिना तो मैं सिर्फ धुआं हो सकता हूं।

पियानो

उसका चेहरा हमेशा उस आदमी की तरह दिखता है
जो उसे बजाता है
उसके विशाल पहलू में किसी मनुष्य के लिये जगह खाली है
वह जगह दिन-रात तुम्हारी प्रतीक्षा करती है

उसे वही बजा सकता है
जिसे कुछ अंदाजा हो जीवन की मुश्किलों का
जो रात का गाढ़ापन, तारों का प्रकाश और चांद का एकांत याद रखता है

उसमें से, तुमने सुना होगा, मादक आवाज उठती है
जिसमें शामिल होता है एक रुंधा हुआ स्वर
जो किसी बेचैन आदमी का ही हो सकता है
जिसने कभी अपनी आवाज का सौदा नहीं किया
वही आवाज तुम्हें रोक लेती है बाजू पकड़कर
जैसे वह किसी धीरोदात्त का टूटता हुआ संयम है
अपनी कथा कह देने के लिये आखिर उद्यत

उसे सुनो और महसूस करो
उसके भीतर भी तुम्हारी तरह कोई संताप है
और धीरे-धीरे उठती हुयी उमंग
जिसने हरदम तुम्हारे लिये पके गले से उठते सुर
और एक कठिन नोट को संजोकर रखा है

उसे तमाम वाद्ययंत्रों के बीच देखो
वह उस राजा की तरह दिखेगा
जो संगीत के पक्ष में अपना राजपाट ठुकराकर यहां आ गया है
यह भी कह सकते हैं कि वह अपने होने में जंगल में शेर की तरह है
लेकिन मैं उसे हाथी कहना पसंद करूंगा
ध्यान दें, उसकी धीर गंभीर और बिलखती आवाज में
गुर्राहट नहीं, अपने को रोकती, खुद को पीती हुयी एक चिंघाड़ है
जो भीतर के विलाप और क्रोध को बदल देती है संगीत में

क्या तुमने वह दृश्य देखा है
जब उसके कंधे पर सिर रखकर कोई उसे बजाता है
और वह अपना सब कुछ अपनी आवाज को सौंपता है
यहां दिखाई दे सकती है समुद्र और हवा के खेल में उसकी दिलचस्पी

उसे कौन छुयेगा ?
वही, सिर्फ वही-
जो अपनी पहचान उसकी पहचान में खो सकता है।
0000

5 टिप्‍पणियां:

ravindra vyas ने कहा…

उसे वही बजा सकता है
जिसे कुछ अंदाजा हो जीवन की मुश्किलों का
जो रात का गाढ़ापन, तारों का प्रकाश और चांद का एकांत याद रखता है
...
उसे कौन छुयेगा ?
वही, सिर्फ वही-
जो अपनी पहचान उसकी पहचान में खो सकता है।
अंबुजजी, मुझे लगता है, यह आपकी इधर लिखी गई ताजा कविताएं से बेहतरीन कविता है और आशा करता हूं जो कविता नहीं पढ़ना चाहते, वे इसे अपना वह कान देकर सुनने की कोशिश करेंगे जो लता मंगेशकर से लेकर पंडि़त कुमार गंधर्व को सुनते रहे हैं...
आप आए हैं इस ब्लॉग की दुनिया में तो मैं आशा करूंगा कि आप वे कविताएं भी पढ़वाएंगे जो आपने अनुवाद की हैं। क्या इसके बाद हमें वाल्ट व्हिटमैन की कविता पढ़ने को मिलेगी?

Yunus Khan ने कहा…

वाह ।
इतनी सुंदर कविता की दिन का ये आखिरी सिरा उजला उजला सा लग रहा है ।
मेरा आग्रह कविताएं ना पढ़वाने से ज्‍यादा कवि के गद्य पढ़वाने का था ।
एक कवि के रूप में तो हम आपको पहले से ही सलाम करते आए हैं भाई

Udan Tashtari ने कहा…

स्वागत है आपका इस बेहतरीन रचना के साथ.

निशांत मिश्र - Nishant Mishra ने कहा…

Dear Ambuj Ji,
It's good to see that you are also a part of Internet now. I have been reading you since I was 15-year-old. I expect from you to be very regular on your blog. My best wishes...

Geet Chaturvedi ने कहा…

जेब्‍बात ऐ.
वाब्‍बात ऐ.