यह मुमकिन ही नहीं कि सब तुम्हें करें प्यार
यह जो तुम बार-बार नाक सिकोड़ते हो
और माथे पर जो बल आते हैं
हो सकता है किसी एक को इस पर आए प्यार
लेकिन इसी वजह से ही कई लोग चले जाएंगें तुमसे दूर
सड़क पार करने की घबराहट खाना खाने में जल्दबाजी
या ज़रा-सी बात पर उदास होने की आदत
कई लोगों को तुम्हें प्यार करने से रोक ही देगी
फिर किसी को पसंद नहीं आएगी तुम्हारी चाल
किसी को ऑंख में ऑंख डालकर बात करना गुज़रेगा नागवार
चलते-चलते रुक कर इमली के पेड़ को देखना
एक बार फिर तुम्हारे खिलाफ जाएगा
फिर भी यदि तुमसे बहुत से लोग एक साथ कहें
कि वे सब तुमको करते हैं प्यार तो रुको और सोचो
यह बात जीवन की साधारणता के विरोध में जा रही है
देखो, इस शराब का रंग नीला तो नहीं हो रहा
यह होगा ही
कि तुम धीरे-धीरे अपनी तरह का जीवन जीओगे
और अपने प्यार करने वालों को
अजीब मुश्किल में डालते चले जाओगे
जो उन्नीस सौ चौहत्तर में और जो उन्नीस सौ नवासी में
करते थे तुमसे प्यार
उगते हुए पौधे की तरह देते थे पानी
जो थोड़ी-सी जगह छोड़ कर खड़े होते थे कि तुम्हें मिले प्रकाश
वे भी एक दिन इसलिए दूर जा सकते हैं कि अब
तुम्हारे होने की परछाईं उनकी जगह तक पहुँचती है
तुम्हारे पक्ष में सिर्फ यही उम्मीद हो सकती है
कि कुछ लोग तुम्हारे खुरदरेपन की वज़ह से भी
करने लगते हैं तुम्हें प्यार
जीवन में उस रंगीन चिडिया की तरफ देखो
जो किसी एक का मन मोहती है
और ठीक उसी वक्त एक दूसरा उसे देखता है
अपने शिकार की तरह।
0000
19 टिप्पणियां:
sundar kavita...
कि कुछ लोग तुम्हारे खुरदरेपन की वज़ह से भी
करने लगते हैं तुम्हें प्यार..
और शायद वही सच्ची चाह रखते हैं!!!
इसका एक पाठ मेरे मन में हुआ है.और उसी पाठ की संगति में आपके काव्य नायक को यह भी देखना चाहिए कि जिनकी परछाई अभी किसी तक नहीं पहुँचती वे भी कर सकते हैं उससे प्यार और और यह जीवन की साधारणता के विरोध में नहीं होगा कमबख्त.
गिरिराज किराडू
बहुत अच्छी कविता। जीवन का सच्चा राग गाती हुई...
आखिर इस 'कमबख्त' का क्या किया जाये।
आहाहा आनंद आ गया कुमार साहब बहुत ही अच्छी कविता लिखी हे आपने बधाई और साथ में आप सभी को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं
सारा कमबख्त सोच का किया धरा है।
पक्ष में एक उम्मीद के खड़े हो सकने की संभावना सारे न हो सकने पर भारी सी दिखती है। इसीलिए अपने खुरदुरेपन में भी कुछ मुलायम सी रोशनी साथ दिखे तो क्या करें...।
सुंदर कविता।
जीवन में उस रंगीन चिडिया की तरफ देखो
जो किसी एक का मन मोहती है
और ठीक उसी वक्त एक दूसरा उसे देखता है
अपने शिकार की तरह।
'कमबख्त' जीवन की साधारणता का सच। अच्छी कविता।
यह मुमकिन ही नहीं कि सब तुम्हें करें प्यार
यह जो तुम बार-बार नाक सिकोड़ते हो
और माथे पर जो बल आते हैं
हो सकता है किसी एक को इस पर आए प्यार
लेकिन इसी वजह से ही कई लोग चले जाएंगें तुमसे दूर
सड़क पार करने की घबराहट खाना खाने में जल्दबाजी
या ज़रा-सी बात पर उदास होने की आदत
कई लोगों को तुम्हें प्यार करने से रोक ही देगी
हा हा हा क्या बात . बहुत
फिर भी यदि तुमसे बहुत से लोग एक साथ कहें
कि वे सब तुमको करते हैं प्यार तो रुको और सोचो
यह बात
जीवन की साधारणता के विरोध में जा रही है
देखो, इस शराब का रंग नीला तो नहीं हो रहा
000
सही बात बड़े भाई ! मुझे अच्छी लगी ये कविता !
very nice lines-
जीवन में उस रंगीन चिडिया की तरफ देखो
जो किसी एक का मन मोहती है
और ठीक उसी वक्त एक दूसरा उसे देखता है
अपने शिकार की तरह।
बहुत उम्दा रचना.
आप एवं आपके परिवार को दीपावली की बधाई एवं शुभकामनाऐं.
अपनी तस्वीर बनाओगे तो होगा एहसास।
कितना दुश्वार है खुद को कोई चेहरा देना।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
`यह जो तुम बार-बार नाक सिकोड़ते हो
और माथे पर जो बल आते हैं
हो सकता है किसी एक को इस पर आए प्यार....' वो स्पार्टकस तो उसकी टूटी चपटी नाक को ही याद करता था सबसे पहले।
बहुत अच्छी कविता।
ambuj ji bahut achchhi kavita hai.badhai.
अच्छी कविता. रवीन्द्र भवन में आपसे मिलकर और हालिया हिन्दी कहानियों के बारे में आपके विचार जानकर अच्छा लगा :)
आपसे गुजारिश है कि अपनी कुछ पसंदीदा हिन्दी कहानी यहाँ प्रकाशित करें. खासकर उन्हें जिनका जिक्र आपने बातों-बातों में किया था.
लाजवाब...मैं तो एक ही सांस में पढ़ गया..जबकि अमूमन मुझे कविताएं समझ में नहीं आती। लगता है आप मुझे कविता-प्रेमी बनाकर ही छोड़ेंगे।
ek sadharn sii baat hai jise aapne asadharn treeke se likha...amazing...
एक टिप्पणी भेजें